बोर्ड परीक्षाओं में ग्रेड सुधारने के चक्कर में बढ़ा कर दिए जाने वाले अंको का खेल कब खत्म होगा ,बोर्ड के लिए बगैर किसी वाजिब वजह के नंबर बढ़ाना संभव नहीं होगा | मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस संबंध में एडवाइजरी जारी कर सभी बोर्डों से इस प्रथा को बंद करने के लिए कहा है|
खास बात यह है कि CBSE सहित सभी बोर्डो के साथ इस मुद्दे पर पिछले साल ही सहमति बन गई थी| लेकिन इसके बाद भी कुछ राज्यों में इसे बंद नहीं किया गया|
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव अनिल स्वरूप ने इसे देखते हुए सभी बोर्डो को एडवाइजरी जारी की है| साथ ही कहा गया है कि परीक्षा मूल्यांकन की विश्वसनीयता के लिए यह मॉडल व्यवस्था ठीक नहीं है| ऐसे में इस प्रथा को तुरंत बंद कर दिया जाए|
उन्होंने कहा कि पिछले साल ही सभी राज्यों के बोर्ड इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए सहमत हो गए थे, लेकिन जब तक इसे लागू किया जाता है उससे पहले ही ज्यादातर राज्यों में परीक्षाएं हो चुकी थी, ऐसे मैं इस पर शख्ती से अमल नहीं हो सका था|
उन्होंने राज्यों को भेजी एडवाइजरी में कहा की बोर्ड अब सिर्फ उन्हीं परिस्थितियों में मॉडरेट नंबर दे सकेंगे ,जब प्रश्न पत्र में गलती हो गई हो या वह अस्पष्ट ना हो| ऐसे इसमें बढ़ा कर दिए जाने वाले नंबर की जानकारी बोर्ड को हर साल अपनी वेबसाइट पर देने के लिए कहा गया है|
एडवाइजरी में परीक्षाओं के मूल्यांकन के लिए एक स्टैंडर्ड फार्मूला भी तैयार करने की बात कही गई है|
इसके लिए सभी राज्यों से सलाह भी मांगी गयी है जिसकी अंतिम तारीख 31 अक्टूबर है |
फेल होने से बचाना है तो ग्रेस मार्क दिए जाएं
मंत्रालय ने कहा है कि छात्रों को फेल होने से बचाना है, तो उन्हें ग्रेस मार्क्स दिए जा सकते हैं| पर यह कितने दिए जाएं, राज्य इसे अपने स्तर पर तय कर सकते हैं| अंकतालिका में इसकी जानकारी देने या नहीं देने का निर्णय राज्यों का ही होगा| बता दें कि कई राज्यों में दसवीं और बारहवीं के अतिरिक्त आठवीं की परीक्षा भी होती है| ऐसे में छोटी कक्षाओं में बड़ी संख्या में छात्रों को फेल होने से बचाने के लिए ग्रेस मार्क्स देने की व्यवस्था है |